गुरुदेव आचार्य नरेंद्र दीक्षित जी की कलम से ✍️
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शुभ कर्मों का शुभ फल पाप कर्मों का बुरा फल मिलता है । पूर्व जन्म के किए गए शुभ-अशुभ कर्मों का फल हमें प्रारब्ध के रूप में वर्तमान जन्म में भोगने को प्राप्त होता है कई बार आप लोगों ने सोचा होगा इन पति-पत्नी की आपस में नहीं बनती है पति या पत्नी बहुत कोशिश करते हैं सामंजस्य की उसके बाद भी संतुलन स्थापित नहीं होता है ऐसा क्यों व्यक्ति की दिनचर्या व्यवस्थित होती है व्यक्ति नियमित खानपान आहार-विहार ऋतु-चर्या का पालन करता है उसके बाद भी रोगी बना रहता है गंभीर रोगों का सामना करता है ऐसा क्यों व्यक्ति बहुत परिश्रम करता है उसके बाद भी दरिद्रता उसके जीवन को छोड़कर नहीं जाती है ऐसा क्यों मित्रों आज मैं बात कर रहा हूं प्रारब्ध कर्म की आज मैं बात कर रहा हूं आपके पूर्व जन्म के कर्मों की पूर्व जन्म के कर्म भावी जीवन की सुख दुख की आधारशिला होती है वर्तमान जन्म जितना बीतता जाता है उसके भी कर्म हमारे भविष्य के सुख-दुख की आधारशिला है। हमारी ज्योतिष प्रारब्ध कर्मों की सारगर्भित व्याख्या करती है और जीवन को व्यवस्थित सुख में शांतिमय और समृद्ध बनाती है। जो लोग बहुत अहंकारी होते हैं बात बात में अकड़ दिखाने वाले होते हैं अपनी बात पर अड़ जाते हैं झूठी शान जिनकी आदत में सम्मिलित हो जाती है ऐसे लोगों को वर्तमान जन्म में गुरु और मंगल पहले से ही खराब मिलता है मंगल कमजोर और पीड़ित होता है गुरु भी कमजोर होता है ऐसे लोग क्रोधी चिड़चिड़े अधैर्यवान होते हैं। गुरु मंगल की कमजोर स्थिति पीड़ित स्थिति पूर्वजन्म के झूठे और मिथ्या अहंकार के कारण लोगों को पीड़ित करना दिखाती है। देखिए शनि और बुध यह दर्शाते हैं आपने व्यापार में गोलमाल किया है आपने बहुत सस्ता माल खरीद करके महंगे दामों में बेचा है आप की संचय प्रवृत्ति ज्यादा होती है अति लोभ के कारण शनि राहु खराब हो जाते हैं और बुध भी खराब हो जाता जिससे मन और दिमाग में तनाव रहता है ज्यादातर ऐसे लोगों को पथरी बहुत बनती है अर्थात शरीर विजातीय द्रव्यों स्टोर कर लेता है जिन व्यक्तियों में भाव ,विचारों, प्रतिक्रियाओं, प्राकृतिक वेगो को रोकने की प्रवृत्ति होती है पूर्व जन्म में वह लालच अधिक करते हैं जिसके कारण आप का चंद्रमा खराब मिलता है चंद्रमा की खराबी यह बताती है कमजोरी यह बताती है कि आपने लोभ, लालच के कारण लोगों को नुकसान पहुंचाया है। चंद्रमा राहु के साथ हो, चंद्रमा नीच राशि का हो यह लोग, लालच, मन की दबी इच्छा को दर्शाता है। सूर्य मंगल राहु जब शनि से पीड़ित होते हैं तो व्यक्ति को आधासीसी दर्द होने लगता है बेचैन रहता है इसी कारण से ऐसे लोग बहुत भौतिकवादी होते हैं अनुशासन हीन और स्वेच्छाचारी होते हैं। हृदय की समस्याएं यह बताती हैं कि पिता पत्नी या बुजुर्गों को आपने लंबे समय तक धोखा दिया है तभी आपका सूर्य खराब हो जाता है। लग्नेश बल हीन हो राहु से पीड़ित हो तो दरिद्रता को दर्शाता है। इसका तात्पर्य है कि पूर्व जन्म में आपने अपनी पैतृक संपत्ति का ज्यादा से ज्यादा उपयोग अपने जीवन में किया है भाइयों का हक भी आपने लिया है इस कारण इस जन्म में शारीरिक कष्ट बने रहेंगे शरीर साथ नहीं देगा।
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