कौन से ग्रह या उनकी युति व्यक्ति को झूठा बनाती है
असत्य झूठ मिथ्या बोलना व्यक्ति की आदत स्वभाव व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बन जाता है कुछ व्यक्तियों के जीवन में यह इस तरह सम्मिलित हो जाता है जैसे दूध में पानी दूध में पानी को प्रत्यक्ष रूप से अलग नहीं किया जा सकता उसी प्रकार लोगों के जीवन से असत्य को अलग करना बड़ा कठिन हो जाता है वास्तव में व्यक्ति झूठ कब बोलता है उसकी केवल दो ही प्रवृत्तियां होती हैं या तो भाव मे आकर के भावातिरेक से बढ़ा चढ़ा कर के बोलने की आदत के कारण व्यक्ति झूठ बोलता है या व्यक्ति अपनी गलती छुपाने के लिए झूठ बोलता है एक परिस्थिति और भी है होती है व्यक्ति सामान्यतया झूठ बोलता है। मतलब झूठ बोलने का कोई प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कारण नहीं होता है और व्यक्ति झूठ बोलता ही रहता है तीसरे इस श्रेणी में आते हैं। झूठ बोलने का संबंध भाव से होता है मन से होता है झूठ की जमीन मन से उत्पन्न होती इसलिए झूठ के लिए यदि विचार करना है तो चंद्रमा से विचार कीजिए चंद्रमा झूठ का सबसे बड़ा कारक ग्रह होता है दूसरा सबसे चालाक चालबाज टाइप का झूठा जो होता है वह राहु होता है यह दो ग्रह ही किसी के व्यक्तित्व में झूठ की आदत को पल्लवित पुष्पित पोषित करते हैं चंद्रमा मन का स्वामी होता है भाव का कारक होता है कल्पना होता है कलाबाज होता है इसके अतिरिक्त क्षण क्षण बदलने वाला होता है जो व्यक्ति हर क्षण अपने विचार बदलता है वह भी भरोसे का नहीं होता है इसलिए चंद्रमा भरोसे का नहीं होता है जिनके दूसरे भाव से चंद्रमा का संबंध बनेगा उनके जीवन में किसी ना किसी रूप से झूठ का समावेश रहेगा । जो झूठा होता है वह कलंकित भी होता है इसीलिए चंद्रमा झूठा और कलंकित होता है चंद्रमा प्रेमी होता है प्रेमिका के हाव भाव होता हैं प्रेमी और प्रेमिका के बीच में जो भावात्मक अभिव्यक्ति होती है वह भी चंद्रमा के साथ होती है दो स्त्री पुरुषों के बीच जो मानसिक आलंबन होता है वह भी चंद्रमा है आपने देखा होगा प्रेमी और प्रेमिका के बीच अक्सर बहुत सी झूठी बातें झूठे वादे चलते रहते क्योंकि उस समय चंद्र तत्व काम करता है ग्रहों में जो राहु होता है उन नीति निर्देशक होता है चालाक चतुर बुद्धिमान समय से पहले सोचने वाला हर परिस्थिति में अपने फायदे के लिए काम करने वाला निदिंत क्रूर चांडाल प्रकृति का काले रंग भ्रम अंधकार स्थूल शरीर ना धारण करने वाला बल्कि सूक्ष्म शरीर से सब जगह प्रकट होने वाला राक्षसो का सेनापति राहु होता है राहुल कलंकित होता है क्योंकि उसने चालाकी से अमृत पान किया था अब राहु की स्थिति भी बताती है व्यक्ति कितना झूठा है चालाक है चतुर है राहु जब भी गुरु के साथ मिलेगा गुरु में चलाकी चातुर्यता अपनी बात को विस्तार से बताने वाला भ्रामक कल्पनाओं में हमेशा फंसा रहने वाला भ्रम मिथ्या बोलने वाला बना देता है गुरु में जीव में चालाकी आ जाती है मौके पर फायदा उठाने के गुण जाते हैं जब भी राहु का प्रभाव शुक्र से या गुरु से होगा ऐसे व्यक्तियों में झूठ बोलने की आदत स्वाभाविक हो सकती है जितना ज्यादा नेगेटिव प्रभाव होगा उतना ज्यादा भ्रम जीवन में रहेगा यदि गुरु के साथ मंगल और राहु बैठ जाएं तो ऐसे जातकों में हमेशा भ्रम की स्थिति रहेगी गुरु जीव कारक होता है मंगल अहंकार का कारक होता है और राहु असत्य भाषण होता है ऐसे व्यक्ति झूठ को भी बड़े आत्मविश्वास के साथ बोलेंगे उनके मन में ऐसे भ्रम होंगे मैं सर्वोच्च सत्ता से बातें करता । कहीं ना कहीं राहु एक भ्रम है एक छलावा है एक ऐसा अंधकार है जहां से व्यक्ति का निकलना बड़ा मुश्किल होता है यदि यही राहु D20 में केंद्र या त्रिकोण भाव में नवम या पंचम भाव में बैठ जाता है तो व्यक्ति को महायोगी बना देता है धर्म अध्यात्म जोड़ देता है यही राहु एकादश में बैठ जाए तो व्यक्ति को मिथ्या असत्य अहंकार भासी बना देता है बहुत लोगों के मुख से आप लोगों ने सुना होगा हमको सब चीजें पहले से पता चल जाती हैं हमको पहले से जानकारी हो जाती है जब भी किसी की कुंडली में शुक्र चंद्र राहु का गुरु मंगल राहु का संबन्ध या मंगल राहु का संबंध या सूर्य बुध राहु का संबंध अक्सर दिखाई देता है नीच का चंद्रमा के साथ राहु का संबंध यह योग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को कई गुना बढ़ा चढ़ा कर बताने की ओर संकेत करते हैं जब व्यक्ति अपने को बढ़ा चढ़ाकर बताता है तो स्वाभाविक रूप से मिथ्या असत्य भाषी बन जाता है और यह सत्य उसके व्यक्तित्व का एक हिस्सा बन जाता है दूसरे भाव के स्वामी का संबंध यदि इन उपर्युक्त योगों से हो या चंद्रमा से हो या राहु से हो या इन स्थानों में राहु या चंद्रमा बैठे हो अक्सर आप देखेंगे यह लोग असत्य भाषी होते हैं इस विषय पर बड़े अच्छे विचार आ रहे हैं मेरे लेकिन विस्तार के भय से आज इतना ही। Dr Narendra Dixit Nadi expert