बुध बालक ग्रह होता है चंद्रमा स्त्री ग्रह होता है स्त्री ग्रह शुक्र भी होता है लेकिन चंद्रमा अधिक कोमल होता है बुध को भी नपुंसक माना गया है शनि भी नपुंसक है किंतु वह शूरवीर भी है उसकी नपुंसकता उसके सन्यासी या विरक्ति होने के कारण है। चंद्रमा और बुध अकेले हो दृष्टि से रहित हो ऐसा जातक अच्छा अनुभव नहीं करते हैं उन्हें किसी ना किसी की संगति यह सहारा मिलना चाहिए चंद्रमा और बुध एक बेल की तरह होते हैं जैसे बेल को किसी सहारे की जरूरत होती है उसी तरह चंद्रमा और बुध को भी किसी न किसी ग्रह के सहयोग की जरूरत होती है यदि मान लो चंद्रमा उच्च का है उस पर किसी ग्रह की दृष्टि नहीं है उसके आगे पीछे कोई ग्रह नहीं बैठा है तो चंद्रमा का केमद्रुम योग कहलायेगा चंद्रमा नीच से भी ज्यादा कमजोर होगा ऐसे जातक में मानसिक शारीरिक भावनात्मक कमजोरी होगी बुध भी अकेला सातवें या द्वादश भाव में बैठा है दांपत्य जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता ग्रह की दृष्टि का विचार केवल लग्न कुंडली में ही किया जाता है क्योंकि देशांतर की दूरी के प्रभाव के कारण ग्रहों का दृष्टि प्रभाव माना जाता है अन्य सभी वर्ग कुंडलियों का आधार लग्न कुंडली की है इसलिए ग्रहों की दृष्टि का विचार अन्य वर्ग कुंडली में करना निरर्थक होता है।
