जब व्यक्ति के पास सभी गुण और सभी योग्यताएं विद्यमान होने के बाद भी उसे कैरियर में सफलता नहीं मिलती हैं तो जीवन में काफी निराशा का सामना करना पड़ता है। आप लोगों ने देखा होगा कोई जातक अच्छा परिश्रम करता होगा उसके बाद भी सफलता नहीं मिल रही होगी । यदि सफलता मिली भी है तो आधी अधूरी मिली है किन ग्रह योगों के कारण व्यक्ति को अपनी आजीविका के लिए अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए भागीरथ प्रयत्न करना पड़ता है बहुत परिश्रम और सहर्ष करना पड़ता है। आज हम इस कड़ी पर इस जातक की कुंडली का विश्लेषण पोस्ट कर रहे हैं। * जिस जातक की कुंडली में सनी 2 और 7 भाव के स्वामी के साथ बैठा होता है उस जातक को अपनी आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है । २ यदि शनि का संबंध राहु केतु से होता है दशम भाव के स्वामी का संबंध राहु केतु से होता है अष्टमेश से होता है तो भी आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इस जातक की कुंडली में आप ध्यान से देखें सनी गुरु के साथ बैठा हुआ है गुरु शनि की युति धर्म-कर्म आय और मोक्ष की युति होती है ऐसे जातक बड़े परोपकारी होते हैं। शनि के अगले भाव में सूर्य का प्रभाव है। नाड़ी ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह पंचम और नवम भाव में 70 परसेंट बल के साथ जा सकता है। इस नियम का पालन करते हुए सूर्य का दूसरे भाव पर 70 परसेंट प्रभाव है जो शनि के आगे है और तीसरे भाव पर चंद्रमा और केतु बैठे हुए हैं सनी जब कभी भी गुरु के साथ बैठता है शनि को ताकत मिल जाती है। शनि के दूसरे भाव पर सूर्य का प्रभाव है। सूर्य राजा का कारक होता है राज्य सरकार का कारक होता है शनि कर्म का कारक होता है जातक के कर्म राज्य सरकार से जुड़ गए ।इसी कारण जातक सरकारी नौकरी करने लगा लेकिन नौकरी पाना एक अलग बात है नौकरी को संभाल लेना और बड़े संघर्ष देखना एक अलग बात है इस कुंडली पर जो तात्कालिक दशमेश है जो धनु लग्न की कुंडली में दशमेश बना बुध है बुध के त्रिकोण में चंद्रमा और केतु बैठे हुए हैं जिसके कारण बुध की ताकत कमजोर हो जाती है ।इस जातक को जैसे तैसे नौकरी बचानी पड़ी। सहर्ष*विवाह ÷ इस जातक की कुंडली में जातक के वैवाहिक जीवन को देखिए जातक के कुटुंब भाव को देखिए कुटुंब भाव का स्वामी शनि अपने भाव से द्वादश में बैठा है वहां पर शनि के दुश्मन सूर्य की दृष्टि है। अनुशासन के कारण परस्पर विरोधाभास के कारण परस्पर स्वाभिमान के कारण इसके परिवार में भारी अशांति रहती थी। जिसका प्रभाव उसकी पत्नी पर पड़ा। सातवें भाव के स्वामी बुध को देखिए बुध शुक्र के साथ बैठा है । शुक्र पत्नी का कारक है बुध बुद्धि का कारक है। पत्नी बुद्धिमान होगी चतुर होगी। बुध चंचलता का कारक है। पत्नी में चंचलता होगी । बुध मित्रता का कारक है। पत्नी के मित्र भी बहुत होंगे । बुध और शुक्र के त्रिकोण में चंद्रमा केतु बैठे हैं । इन्हीं ने पूरी स्थिति खराब कर दी बुध का संबंध चंद्रमा से हुआ केतु से हुआ बुध की ताकत कमजोर हो गई शुक्र का भी संबंध जब चंद्रमा केतु से हुआ शुक्र की भी स्थिति कमजोर हो गई जब कभी भी सातवें भाव के स्वामी के साथ आठवें भाव के स्वामी का संबंध बन जाता है, तब वैवाहिक जीवन में अलगाव तनाव तलाक संघर्ष के योग बनते हैं। मंगल शनि की समसप्तक स्थिति वैवाहिक जीवन को अधिक कटुता से परिपूर्ण करते हुए अशांत बना देती है। मंगल क्रोध और उग्रता का कारक होता है। मंगल अभिमानी ग्रह होता है। यदि वह सातवें भाव पर बैठता है स्त्रियों को हमेशा दबाकर रखता है। स्त्रियों को प्रेशर में रखता है। जिसके कारण विवाद की स्थिति खड़ी होती है। विवाद के कारण इस जातक का तलाक हो जाता है । *इस जातक के जीवन में 44 वर्ष तक बराबर संघर्ष रहा है। जैसे तैसे यह नौकरी बचा पाया इस संघर्ष का सबसे बड़ा कारण था शनि का पीड़ित होना शनि के तीसरे भाव में चंद्रमा केतु का बैठना शनि के सप्तम में मंगल को बैठना शनि के अगले भाव पर सूर्य का प्रभाव शनि को काफी कमजोरी दे रहा था। दशम भाव के स्वामी पर चंद्रमा केतु का प्रभाव तीसरे भाव में बैठकर चंद्रमा केतु की सप्तम दृष्टि यह संकेत करती थी कि जातक के एक से अधिक विवाह होंगे। दूसरा विवाह किसी विधवा से होगा। जब 3 वर्ष बाद यह जातक मिला जातक के जीवन में यही घटनाएं घटित हुई जातक की ज्योतिष शास्त्र के प्रति बड़ी आस्था बढ़ गई द्वारा। जब उसने हमसे परामर्श लिया हमने कहा दूसरी पत्नी से भी अधिक सुख नहीं मिलेगा आप की दूसरी पत्नी परित्यक्ता तलाकशुदा वैधव्य योग से पीड़ित मिलेगी यही घटना जातक की बाद में घटित हुई। किसी विधवा के साथ जातक का विवाह हो गया।

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किसी भी व्यक्ति की कुंडली में आजीविका कैरियर संबंधी परेशानियों को देखने के कई सूत्र आपने बताएं बहुत अच्छा मार्गदर्शन किया। धन्यवाद।🙏🌹🌲🎈🌱🌳🥀🌴🌷🌻🌿🚩🚩🚩🚩