चंद्र बुध युति का मर्म

कभी भी चंद्रमा और बुध एक साथ बैठते हैं तो कलंक लगता है और इस योग में यदि* राहु बढ़ जाता है तो कलंक का दायरा विस्तृत हो जाता है यहां पर चंद्रमा और बुध दोनों को राहु ने अत्यधिक खराब कर दिया चंद्रमा बुध की युति जीवन में संशय उत्पन्न करती है

कभी भी चंद्रमा और बुध एक साथ बैठते हैं तो कलंक लगता है और इस योग में यदि* राहु बढ़ जाता है तो कलंक का दायरा विस्तृत हो जाता है यहां पर चंद्रमा और बुध दोनों को राहु ने अत्यधिक खराब कर दिया चंद्रमा बुध की युति जीवन में संशय उत्पन्न करती है या सातवें भाव पर चंद्रमा बुध का बैठना संदेह अनिश्चितता भ्रम के बादल जीवन में लेता है वैसे भी चंद्रमा का राहु के साथ बैठना अनिष्ट प्रद माना जाता है विकृत मानसिकता का योग बन जाता है इसी में जब बुद्धि आ जाती है बुध आ जाता है तो धूर्त योग का निर्माण हो जाता है जिस प्रकार खाने की चीजें दांतो के बीच में जाती हैं तो पिस कर नष्ट हो जाती है उसी तरह जीवन लड़ाई झगड़े में फंस कर नष्ट हो जाता है। २ अब स्त्री के बारे में चर्चा करते हैं पुरुष की कुंडली में स्त्री का नैसर्गिक कारक शुक्र होता है शुक्र पर पड़ने वाला प्रभाव स्त्री के गुण धर्म को बताता है इसके साथ-साथ सातवें भाव के स्वामी का भी विचार करना अत्यंत आवश्यक होता है इस कुंडली में शुक्र छठे भाव में उच्च का होकर के बैठा हुआ है वास्तव में देखा जाए शुक्र में बल अधिक नहीं है क्योंकि शुक्र अपने दुश्मन गुरु से और त्रिकोण में अर्थात पंचम भाव में केतु का प्रभाव होने के कारण केतु से मिलकर आया है (जीवन यात्रा) शुक्र की ताकत कमजोर है अंदर से खोखला है शुक्र उच्च का है लेकिन छठे भाव में अपनी उच्च राशि में बैठा है उसमें लड़ाई झगड़े के जन्म जात गुण है ।विपरीत राजयोग होने के कारण पत्नी अच्छे परिवार की होगी धनाढ्य परिवार की होगी विवाह भी धूमधाम से होगा शुक्र के आगे शुक्र का दुश्मन चंद्रमा बैठा है उसके आगे सूर्य बैठा है यहां पर शुक्र के आगे बुध के आगे मंगल बैठा है इस्त्री भी अंहकारी और जिद्दी स्वभाव की होगी अड़ियल स्वभाव की होगी क्योंकि शुक्र के आगे बुध मंगल है जल्दी से समझौता करने की प्रवृत्ति नहीं होगी शुक्र को सनी त्रिकोण से देख रहा है शनि में काल पुरुष की कुंडली के अनुसार सनी दुखों की राशि में बैठा है शमशान की भूमि में बैठा है जो परिवार को युद्धभूमि बना दिया परिवार को बिखेर दिया शनि वक्री भी है वक्री होकर के केतु के पास आ जाता है वक्री होने के कारण शनि का प्रभाव चंद्र बुध राहु से भी बन गया स्थिति और भयानक हो गई यहां पर समझौते की प्रवृत्ति दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही शुक्र शनि का त्रिकोण संबंध होने के कारण जातिका काम काजी होगी। शुक्र के आगे राहु बैठा है चंद्रमा बैठा है स्त्री के कुटुंब भाव में शुक्र से दूसरे भाव में युद्ध हो रहा है ग्रह आपस में लड़ रहे हैं इसकी वजह से शुक्र भी पीड़ित हो गया ‌। अर्थात हुई स्त्री समझौते की नियत में नहीं है जब कभी भी सातवें भाव का स्वामी अष्टम में बैठता है तो परिवार बसने नहीं देता है बस जाता है तो सुखी होने नहीं देता है यदि सप्तमेश के आगे अष्टमेश भी बैठ जाए तो भी परिवार पूरी तरह से पति पत्नी का रिश्ता लंबे समय तक चल नहीं पाता है यदि शुक्र मंगल की स्थिति अच्छी नहीं हुई । चंद्र बुध राहु ने रमेश के मन को पूरी तरह अशांत कर दिया संशय में डाल दिया जिसके कारण उसने तलाक लेने की कसम खा लिया उसने शुक्र के आगे बुध मंगल ने पत्नी को अहंकारी बनाया राहुल है उकसाया राहु एक विच्छेदात्मक ग्रह होता है इस कारण आज भी पति पत्नी एक नहीं है एक दूसरे को देखना नहीं चाहते हैं एक कहता है मैं तलाक लेकर रहूंगा पत्नी कहती है मैं किसी भी कीमत पर तुम को तलाक नहीं दूंगी यही युद्ध है यही संघर्ष है यही गहनों कर्मणा गति: है।

Dr Narendra Dixit Nadi expert and Nadi Teacher 6307437516 9628333618

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