गज केशरी

यदि नवम भाव का स्वामी गुरु चतुर्थ भाव में कर्क राशि में बैठ जाए गुरु की ताकत कई गुना बढ़ जाती है पहली बात तो गुरु धर्म के गुण लेकर के चतुर्थ भाव में बैठ जाता है चौथा भाव जमीन का होता है वाहन का होता है सुख का होता है गृहस्थी का होता है इन सब चीजों में बढ़ोत्तरी हो जाती है ऐसा जातक कृषि कार्य करने वाला अपने बुद्धि विवेक से लोगों का उत्तम मार्गदर्शक होता है यदि गुरु के साथ चंद्रमा बैठ गया तो तो चंद्रमा की भी ताकत बढ़ गई चंद्रमा सिंचाई है खाने का सामान है चंद्रमा मन ऐसा जातक धार्मिक अत्यधिक बुद्धिमान कृषि कार्य में दक्ष राजनीति का माहिर पंडित होता है ऐसे लोग किंग मेकर होते हैं जिसके ऊपर भी हाथ रख देते हैं वह सोना हो जाती है आपने चाणक्य को देखा होगा चाणक्य ने चंद्रगुप्त को अखंड भारत का प्रशासक बना दिया था। राजनीति के कुशल पंडितों की कुंडली में ऐसा योग देखा जाता है वास्तव में यहां पर गुरु की जो ताकत है कई गुना बढ़ जाती है गुरु हजार गुना बल् लेकर कर बैठता है सहस्त्र योगकारक है यही स्थिति मेष लग्न में बनती है जब चंद्रमा वहां बैठ जाता है तो गजकेसरी योग बन जाता है नैसर्गिक रूप से गुरु धर्म और अध्यात्म का कारक होता है चंद्रमा मन का स्वामी होता है यदि बुध का भी संबंध हो जाए तो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है चिंतनशील विवेक मान होता है यदि शनि का संबंध जुड़ जाए तो बहुत बड़ा विचारक बन जाता है यदि सूर्य मंगल जुड़ गए तो कुशल प्रशासक हो जाता है

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