🌹✍ परम पूज्य गुरुदेव आचार्य नरेंद्र दीक्षित जी की कलम से 🌹✍
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यदि किसी निम्न स्तरीय व्यक्ति को भाग्य वशात प्रारब्धवश हैसियत से बहुत अधिक मिल जाता है तो वह अपनी ख्याति से गर्वान्वित होकर समाज से मिले सम्मान में इतना डूब जाता है वह अपना विवेक खो देता है यहीं से उसके पतन पराभव का प्रारंभ होता है आज हम इस बात को ज्योतिष की दृष्टि से बताते हैं नाड़ी ज्योतिष में बुद्ध व्यवहार का कारक होता है बुध के साथ जब मंगल बैठ जाता है जातक अधिक तार्किक हो जाता है और उसमें आक्रामकता भी आ जाती है यदि किसी की कुंडली में बुध वृश्चिक राशि , मीन राशि में बैठता है तो व्यक्ति का जो व्यवहार होता है वह अत्यधिक संकीर्ण होता है वह छोटी-छोटी बातों पर उलझा रहता है। यदि इसी वृश्चिक के बुध में मंगल गुरु की युति और दृष्टि बन जाती है तो ऐसा व्यक्ति लोगों का सम्मान करना नहीं जानता है हमेशा अपमानित करता है उसका व्यवहार संदिग्ध होता है स्वार्थी धूर्त होता है। यदि कुंडली में मंगल का संबंध बुध चंद्र राहु से बनता है गुरु मंगल राहु से बनता है ऐसे व्यक्ति का स्वभाव संदिग्ध रहता है। कई बार जो नए-नए किसी क्षेत्र में आते हैं छुटे भैया टाइप के लोग जो हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं ऐसे लोगों की कुंडली में भी नीच का बुध गुरु सूर्य राहु के साथ मिलता है।
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