विवाह का भविष्य कथन करने के लिए सबसे पहले विवाह कब होगा विवाह की आयु के अनुसार आपको अनुमान प्रमाण के माध्यम से अनुमान लगाना है आपको विभिन्न प्रकार के लोगों को देखना है और विभिन्न प्रकार के दुर्योगो को भी देखना है। वर्तमान देश काल परिस्थिति के अनुसार विवाह की आयु 21 वर्ष मानी जाती है लड़की के विवाह की आयु 18 वर्ष मानी जाती है आपको भविष्य कथन करने के लिए किसी के विवाह का निर्धारण करने के लिए सबसे पहले सातवें भाव के स्वामी सातवें भाव के कारक लग्न लग्न भाव पंचम नवम भाव को भी देखना चाहिए शुक्र तथा मंगल पर भी ध्यान रखना चाहिए। शनि नी से हम ढाई वर्ष के अंतर्गत होने वाली घटना का अनुमान लगाते हैं क्योंकि शनि एक राशि पर ढाई वर्ष संचार करते हैं गुरु के द्वारा 1 वर्ष में होने वाली घटना का अनुमान लगाते हैं। सूर्य के द्वारा एक मास में होने वाली घटना का अनुमान चंद्रमा के द्वारा दिनों में होने वाली घटना का अनुमान लगाते हैं। मैं इस कुंडली पर देख रहा हूं सनी ढाई वर्ष अष्टम भाव में थे नवम भाव में ढाई वर्ष आए तो 5 वर्ष में शनि चंद्रमा के पास थे नवम भाव में इस तरह ढाई वर्ष ढाई वर्ष गिनते चले गए तो 25 वर्ष में शनि सिंह राशि पर गोचर करेंगे वहां से शनि का संबंध साथ में घर के स्वामी से हो रहा है क्योंकि 3 11 संबंध बन रहा है। अर्थात जब शनि का सिंह राशि में गोचर आएगा उस समय ढाई वर्ष के बीच में विवाह की संभावना रहेगी हमारा नियम नंबर 1 कहता है शनि का गोचर यदि सातवें भाव सातवें भाव के स्वामी लग्न भाव लग्न भाव के स्वामी शुक्र से संबंधित होता है तो ढाई वर्ष के बीच में विवाह का प्रॉमिस बनता है अन्य बातें समान होने पर सातवें भाव पर बुरे प्रभाव ना हो सातवें भाव का स्वामी कमजोर बल ही ना हो सातवें भाव पर विच्छेदक ग्रहों का प्रभाव ना हो यहां पर सातवें भाव पर सूर्य बैठा हुआ है साथ में घर का स्वामी अष्टम में बैठा हुआ है सातवें भाव के स्वामी का आश्रम में बैठना पहली कमी अर्थात ढाई वर्ष शादी का ढीले होगा शादी की आयु 21 वर्ष 21 में ढाई साल जोड़ दीजिए तो साडे 23 साल हो गई अर्थात साडे 23 साल के बाद इस व्यक्ति का विवाह हो सकता है तो शनि का गोचर सिंह राशि पर 23 से 25 के बीच आ रहा है तो हमने अनुमान लगाया साडे 23 से 25 के बीच के आयु खंड में विवाह का प्रॉमिस बनता है। इसी प्रकार गुरु का गोचर वर्ष में होने वाली घटना का अनुमान बताता है गुरु के गोचर को गौरव मान संवत्सर मान भी कहते हैं। गुरु का गोचर किसी भी परिस्थिति उपर्युक्त नियमों से संबंधित हो। गुरु जब कभी भी पंचम नवम के स्वामी से संबंध बनाता है तो प्रार्थी के कर्म संचित कर्म उदित हो जाते हैं विवाह संस्कार भी संचित कर्मों के अनुसार फलित होता है गुरु का गोचर कर्क राशि पर 25 वर्ष से चल रहा है। इस प्रकार हमने यह अनुमान लगाया इस जातक की शादी 25 में वर्ष हो सकती है गुरु का गोचर और शनि का गोचर गुरु और शनि ने दोनों ने आपस में सलाह मशविरा लिया आपसी चर्चा करके जीवन के पथ को आगे बढ़ाया गुरु की रश्मियां और शनि की रश्मिया विवाह को प्रस्तावित कर रही हैं मास का विचार करने के लिए हम सौरमान का उपयोग करते हैं। सौरमान के द्वारा एक माह में होने वाली घटनाओं का अनुमान लग जाता है। सूर्य का गोचर विवाह होने वाले महीनों के अंतर्गत लग्न भाव सप्तम भाव सप्तमेश के ऊपर हो या तीसरे या एकादश भाव पर सूर्य बैठा हो तो विवाह कब होगा इसकी गणना की जा सकती है। हिंदू धर्म परंपरा में हिंदू धर्म शास्त्रों में विवाह संस्कार के लिए पृथक विधान किया गया है तिथियों और नक्षत्रों का अलग-अलग नियमन भी किया गया है विवाह किस मास में होगा किन-किन नक्षत्रों में होगा समय का संस्कार कैसे करना है पंचांग के द्वारा निश्चित किया जाता है पंचांग प्रयोजन काल साधन होता है। हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों में विवाह चतुर्मास में नहीं होते हैं। नवरात्रि में भी नहीं होते हैं इसके अलावा नवंबर के महीने में दीपावली के बाद संगत तिथि वार नक्षत्र योग करण के आधार पर निश्चित किए जाते हैं। सूर्य का गोचर इस कुंडली में ध्यान से देखिए सूर्य मकर राशि में 14-15 जनवरी को आते हैं इसके आधार पर आप महीना निकालना शुरू करिए कुंडली में जहां पर 10 संख्या है वहां पर सूर्य को रख दीजिए और गिनना शुरू करिए सूर्य को हमने रखा मकर में 15 जनवरी के बाद सूर्य मकर पर आएंगे यहां पर विवाह की संभावनाएं होंगी फिर सूर्य जमीन पर आएंगे फिर यहां पर विवाह की संभावनाएं होंगी फिर उसके बाद सूर्य जब 15 मई के आसपास वृषभ राशि पर आएंगे यहां पर भी विवाह के योग बनेंगे यदि देश काल परिस्थिति के अनुसार उस समय उस माह में विवाह संम्मत मुहूर्त शुभ नहीं है तो आप समझ लीजिए विवाह नहीं होगा। सूर्य का उस समय गोचर के अनुसार अशुभ ग्रहों से प्रभाव बन रहा है तो भी विवाह नहीं होगा आपको गोचर की अच्छी समझ होनी चाहिए उसका प्रयोग करना और m.o.p. के आधार पर बनने वाले लोगों पर भी विहंगम दृष्टि होनी चाहिए सूर्य का गोचर जैसे ही मई में आता है सूर्य का संबंध सूर्य से बन जाता है सप्तम भाव से बन जाता है क्योंकि वैदिक में पाद दृष्टियां होती हैं और नाड़ी में त्रिकोण दृष्टियां होती हैं दोनों के अनुसार सूर्य का संबंध सूर्य से तीसरे भाव पर बन रहा है अब चंद्रमा को देखें चंद्रमा का गोचर भी सूर्य के समान सप्तम भाव से जुड़ा होना चाहिए चंद्रमा का गोचर सातवें भाव पर हो सप्तमेश पर हो एकादश भाव पर हो तीसरे भाव पर हो लग्न भाव पर हो तो विवाह की संभावनाएं या विवाह का दिन निकल आता है अब यहां पर ध्यान से देखें चंद्रमा का गोचर मकर राशि पर निकल रहा है मकर राशि का मतलब गोचर के अनुसार देखें तो 18 मई निकलेगा 18 मई को 1979 कोई इसका विवाह हुआ