*राम सीय सुंदर प्रतिछाहीं। जगमगात मनि खंभन माहीं
मनहुँ मदन रति धरि बहु रूपा। देखत राम बिआहु अनूपा॥2॥
भावार्थ:- श्री रामजी और श्री सीताजी की सुंदर परछाहीं मणियों के खम्भों में जगमगा रही हैं, मानो कामदेव और रति बहुत से रूप धारण करके श्री रामजी के अनुपम विवाह को देख रहे हैं। भगवान राम और जानकी जी के विवाह की झांकी को ज्योतिष की दृष्टि से बता रहा हूं गुरु जीव का कारक होता है शुक्र स्त्री का कारक होता है गुरु के साथ चंद्रमा बैठ जाता है तो व्यक्ति सुंदर हो जाता है। केतु यदि उच्च के ग्रह के साथ बैठता है तो उस ग्रह की ताकत को बढ़ा देता है केतु नवम भाव में बैठ कर के गुरु चंद्रमा की युति को बढ़ा रहा है कामदेव के समान अद्भुत छवि प्रदान कर रहा है माता जानकी का स्वरूप शुक्र प्रतिबिंबित कर रहा है किसी भी स्त्री की कुंडली में जब शुक्र केतु के साथ बैठता है स्त्री सुंदर कोमलंगी सुकुमारी होती *है छोटे कद की होती है। धर्म-कर्म में रुचि रखने वाली खुद प्रसन्न रहने वाले दूसरे को भी प्रसन्न करने वाली सरल सरल सुकुमारी होती है। मंगल पुरुष तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और एक स्त्री की की कुंडली में उसका पति होता है पुरुष की कुंडली में वर का प्रतिनिधित्व करता है । मंगल वर का कारक होता है और शुक्र वधु का कारक होता है। एक तरफ भगवान श्रीराम खड़े हैं दूसरी तरफ जानकी जी खड़ी हुई हैं दोनों की सुंदरता दोनों की जोड़ी कामदेव रति को भी तेजहीन कर रही है। जो सुंदरता शब्द आता है ना शुक्र चंद्र राहु से आता है जब मंगल और शुक्र के साथ चंद्रमा राहु का संयोग बन जाता है तो जो जोड़ी बनती है वह अद्भुत होती है। Dr Narendra Dixit Nadi expert Nadi Teacher 6307437516