सहारा श्री सुब्रत राय का जन्म तुला लग्न में हुआ है। लग्नेश और नवमेश की युति प्रबल राजयोग बना रही है। नवम भाव भाग्य का होता है लग्न भाव स्वयं का होता है जब भाग्य जातक के जीवन में जुड़ जाता है शुक्र धन का कारक होता है बुद्धि का कारक होता है शुक्र चतुर ता का कारक होता है गूढ़ ज्ञान का कारक होता है नीति निर्धारक कार्यों में शुक्र की भूमिका महत्वपूर्ण होती है बुध बुद्धि का कारक होता है व्यापार का कारक होता है बुध को जब शुक्र का साथ मिल जाता है बुध बहुत चतुर हो जाता है बुध शुक्र की की युति होने के कारण जातक भाग्यशाली है बुद्धिमान है चतुर है अपनी योग्यता और क्षमता सूझ बूझ के साथ एक बड़ा एंपायर खड़ा कर देता है। बुध शुक्र की युति जातक को कुशल बनाती है दक्ष बनाती है। एकादश भाव में मंगल का प्रभाव धनेश और सप्तमेश होने के कारण प्रबल राजयोग कारक बन जाता है मंगल जातक को रियल स्टेट के क्षेत्र में सफलता दे रहा है। दशम भाव पर दशमेश और चतुर्थेश का प्रभाव दशमेश चतुर्थेश प्रभाव राजयोग कारक दशम भाव कर्म का होता है चतुर्थ भाव जनता से जुड़कर काम करने का होता है। शनि चंद्र का योग इनको बहुत धनी बना रहा है। लग्न में केतु की उपस्थिति तीसरे भाव में गुरु की उपस्थिति जातक को उत्साही जुझारू कठोर परिश्रम ही बनाती है एकादश भाव में नवीन क्षेत्रों की तरफ लीक से हटकर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। गुड के आगे मंगल सैनी बैठे हुए हैं जो जातक को विज्ञान और तकनीकी शिक्षा यह भी है मंगल का एकादश भाव पर बैठना पंचम भाव से संबंध बनाना मंगल और शनि की युति जातक को इंजीनियर मैकेनिकल क्षेत्र में सफलता देते हैं मंगल शनि मंगल मशीन का कारक है मशीन का जो मूर्त स्वरूप है लोहे का कारक है वह सही है राहु मशीन का प्रोग्राम होता साफ्टवेयर होता है।