कुम्भ लग्न में सातवे भाव में सूर्य

🌹✍गुरुदेव आचार्य नरेंद्र दीक्षित जी की कलम से✍🌹
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कुंभ लग्न में सूर्य सातवें घर का स्वामी होता है सातवें घर के स्वामी का आठवे घर के स्वामी से संबंध होना वैवाहिक जीवन को दुखमय , दारिद्रमय और कलह पूर्ण बनाता है। अष्टम भाव में पापी ग्रहों की स्थिति वैवाहिक सुख में कमी करती है विवाह विलंब से होता है विवाह के उपरांत जातक को अपेक्षित सुख की प्राप्ति नहीं होती है वैवाहिक जीवन में क्लेश बना रहता है। पिता के नैसर्गिक कारक सूर्य का अष्टम भाव गत बैठना शुभ नहीं होता है सूर्य का जब जब गोचर अष्टम भाव के ऊपर से होता है तब तक पिता का स्वास्थ्य प्रभावित होता है जातक और पिता के मध्य संबंधों में तनाव होता है। यह कुंडली हैं पुरुष जातक की है जो पेशे से इंजीनियर है मैनेजमेंट का कोर्स किया बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छी तरह से कार्यरत है विवाह भी अपने पसंद से किया इंटर कास्ट मैरिज हुई विवाह में विरोध हुआ किंतु विवाह कर लिया उसने विवाह के कुछ माह बाद दोनों में तनाव रहने लगा अंततः दोनों के बीच तलाक हो गया इनकी एक बेटी है जो पत्नी के साथ रहती है अब इस कुंडली में ध्यान से देखिए सातवें घर पर शनि बैठा हुआ है सातवें घर का स्वामी सूर्य अष्टम भाव पर बैठा है अष्टमेश के साथ बैठा हुआ है और उसके साथ राहु है सूर्य बुध राहु -सूर्य क्या है पिता का कारक है सातवें भाव का तात्कालिक कारक होने के कारण पत्नी को दर्शाता है सातवें घर के स्वामी का अष्टम भाव में अष्टमेश के साथ बैठना अशुभ माना जाता है बुध अष्टमेश है जो मृत्यु कारक है फलों को कम करने वाला है यहां पर एक नियम यह समझ लीजिए कि आठवें घर का स्वामी जिस भी भाव के स्वामी के साथ बैठेगा उस भाव और उस ग्रह के कारक तत्वों का दैहिक और दैविक फलों में कमी करने वाला होगा। इसीलिए राहु कुसंगति का कारक है बुध मित्रता का कारक है सूर्य पिता का कारक है सूर्य तात्कालिक रूप से पत्नी का कारक है इसी कारण यहां पर पति पत्नी में मैत्री संबंध अच्छे नहीं रहे जब दोनों प्रेमी प्रेमिका थे तब तक दोनों का संबंध अच्छा था तब कुंडली मित्र भाव और प्रेम भाव से संचालित हो रही थीं विवाह के पश्चात कुंडली सातवें भाव से संचालित होने लगती है सप्तमेश का बुध और राहु के साथ संबंध होना देखिए बुध पांचवें घर का भी स्वामी है इसलिए बुध पंचम भाव शिक्षा सहपाठी बना सातवां भाव पति का बना पत्नी का बना सहपाठी के साथ विवाह हुआ सप्तम भाव पर शनि का बैठना सप्तमेश का राहु के साथ बैठना विजातीय संबंधों को देता है क्योंकि सनी विजातीय होता है राहु लीक से हटकर काम करने वाला होता है इसीलिए लीक से हटकर के इसने इंटर कास्ट मैरिज की। सातवें घर पर शनि का बैठना अलगाव देता है साथ में घर पर केतु का बैठना अलगाव देता है राहु का बैठना भ्रम देता है सप्तमेश और अष्टमेश काल पुरुष की कुंडली में मंगल शुक्र भी वैवाहिक जीवन में बड़े बदलाव लेकर आती है। नाड़ी ज्योतिष के अनुसार शुक्र चंद्र मंगल का योग प्रेम विवाह होता है प्रेम संबंधों का होता है पंचमेश और सप्तमेश का संबंध भी प्रेम संबंधों का होता है इसीलिए इसके प्रेम संबंध हुए सनी सूर्य मंगल शुक्र की लगातार भाव में बैठने के कारण युति हो रही है इसीलिए जातक मैनेजमेंट से जुड़कर काम करने वाला हुआ पहले इंजीनियर बना शनि मंगल के कारण गुरु उच्च का चंद्रमा के साथ छठे भाव पर बैठा हुआ है गुरु और चंद्रमा की दोनों ही स्थिति छठे भाव पर है और उनको केतू देख रहा है। चंद्रमा मन का कारक होता है केतु हीलर होता है परामर्शदाता होता है गुरु ज्ञान होता है गुरु चंद्र केतु के कारण जातक किसी भी संस्था के नीति निर्देशन का काम करने वाला बड़ी बड़ी संस्थाओं का संचालन करने वाला होता है। चतुर्थेश और दशमेश के कारण इसे बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छी जॉब मिली गुरु चंद्रमा के कारण मैनेजमेंट के क्षेत्र में कार्य मिला।
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3 Comments.

  1. Me
    bhikari ho gya hu patni se jhagre chalte hai santi nahi hai income nahi hai kripya kare daane daane ko mohtaaj ho gya hu
    Manish kumar Goenka
    Dob-6/11/1990
    Time -1. 35pm
    Birth place – raniganj west Bengal

  2. Eight house k dono taraf karur grah baithe hai … yaha surya bhi baitha hai jisne mercury , Saturn Mangal ko combust kr dia … mercury asht mesh bhi hai …. Yaha jatak ki bhudhi k baare mai kya keh sakte hai … budh ko pidit mana jayega ya Nhi …
    Surya pita ka karak hai jo pidit hai dashmesh Mangal hai jo combust ho gya .. jo pita ki Umar kaisi hogi …

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