6th House kae Result

जन्म कुंडली का छठा भाव रोग का दुर्घटना का बीमारी का मानसिक क्लेश का मामा का, मौसी का, दुर्भाग्य का होता है। यदि जन्म कुंडली में छठे भाव का स्वामी वक्री होकर अशुभ पापी शत्रु ग्रहों से संबंध बना दें जीवन में लड़ाई-झगड़ा,कलह, बीमारी की संभावना होती है लेकिन यही छठे भाव का स्वामी अष्टम, द्वादश भाव पर बैठ जाता है तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है। तुला लग्न की कुंडली में गुरु छठे और तीसरे भाव का स्वामी होकर के कारक माना जाता है किंतु यदि वह वक्री हो जाए सूर्य मंगल से मिल जाए तो परिणाम शुभ हो जाते हैं। आप लोगों ने पढ़ा होगा छठा भाव उपचय भाव भी कहलाता है काल पुरुष की कुंडली का अर्थ त्रिकोण होता है वृद्धि का भाव होता है यहां पर बैठा हुआ ग्रह यदि योगकारक हुआ, विपरीत राजयोग कारक , शुभ ग्रहों से संबंध स्थापित करने वाला हुआ , जीवन में सफलताएं मान- सम्मान, यश ,कीर्ति ही देता है। एक कुंडली है राजनेता .. छठे भाव का स्वामी मंगल वक्री होकर के चतुर्थेश और दशमेश में से संबंध बना रहा है। 1983 तक राजनीति के क्षेत्र में कैरियर में बहुत उतार-चढ़ाव है उसके बाद पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति हुई। छठे भाव का स्वामी मंगल का संबंध शुक्र, गुरु से हो रहा है मंगल वक्री होकर के सूर्य शनि से भी मिल रहा है गुरु सूर्य मंगल का योग बन गया महा प्रताप योग बन गया मंगल की ताकत बढ़ गई वक्री होने पर मंगल को कई ग्रहों का सपोर्ट मिल गया जिसकी वजह से मंगल जो अकेला था जिसके आगे केतु रुपी दीवार खड़ी हुई थी वह खत्म हो गई क्योंकि मंगल यहां पर मुदित अवस्था में आ गया। किसी भी ग्रह का संबंध जितने ज्यादा ग्रहों से बनेगा विशेषकर मंगल का संबंध सूर्य गुरु से बनेगा दशमेश चतुर्थेश से बनेगा जातक में नेतृत्व के गुण होंगे जातक की प्रतिष्ठा मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री जैसी होगी। आप लोगों ने समझा होगा वक्री होने पर किसी भी ग्रह की ताकत बढ़ जाती है और घटती जाती है यदि शुभ ग्रह मिले तो ताकत बढ़ जाती हैं केंद्र त्रिकोण के स्वामी से संबंध बना तो ताकत बढ़ जाती है यदि शत्रु ग्रह मिले पापी ग्रह मिले 6 8 12 भाव के स्वामी से संबंध बना तो अशुभ परिणाम अधिक देखने को मिलते हैं

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