बहु कैसी हो

कार्येषु मंत्री करणेषु दासी भोज्येषु माता शयनेषु रंभा । धर्मानुकूला क्षमया धरित्री सा नारीशक्ति सदैव नम्या ।।

आपकी बहु कैसी हो?

( किस तरह की कन्या से अपने पुत्र का विवाह करना चाहिए )

कार्येषु मंत्री करणेषु दासी
भोज्येषु माता शयनेषु रंभा ।
धर्मानुकूला क्षमया धरित्री
सा नारीशक्ति सदैव नम्या ।।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
रमन्तेतत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः
(मनुस्मृति अध्याय ३, श्लोक ५६)

भावार्थ:
जहां स्त्रीजाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं। हमारी हिंदू धर्म संस्कृति में नारी पूजा होती है , नारी का सम्मान होता है। जब बेटी बड़ी होती है , पिता सुयोग्य वर के साथ विवाह कर देते हैं । विवाह के बाद वह बहू बन जाती है , किसी की पत्नी बन जाती है । प्रत्येक मां बाप चाहते हैं हमारी पुत्रवधू बहुत सुशील, गुणवान , सुंदर ,शिष्ट , सरल सबसे प्रीत स्नेह रखने वाली हो। समय से सब का ध्यान रखने वाली , कर्तव्य परायण , आकर्षक , हमेशा प्रसन्न रहने वाली हो।

आइए आज हम इस बात को हम ज्योतिष के आईने से देखते हैं।

  1. काल पुरुष की कुंडली में शुक्र स्त्री का कारक होता है । यदि अन्य कारक तत्वों की बात करें शुक्र भोग, विलास ,ऐश्वर्य ,सौंदर्य का कारक होता है। काम कला , संगीत रसिकता , हर्षोल्लास , स्त्री की प्रजनन शक्ति , काव्य , नृत्य , समारोह , श्रंगार , सज्जा , वैभव संपत्ति, ‘श्री ’ भी शुक्र ही होता है। शुक्र एक स्त्री ग्रह होता है , शुक्र जब तुला राशि में सातवें भाव में बैठता है तो वह सहस्त्र योगकारक हो जाता है।
    शुक्र का संबंध जब मंगल से हो जाता है तो स्त्री अपने पति को प्रिय हो जाती है, ऐसी स्त्री का मान सम्मान पति के द्वारा बहुत किया जाता है। यदि शुक्र+ मंगल + गुरु किसी की कुंडली में एक साथ बैठे हो विशेषकर स्त्री की कुंडली में एक साथ बैठे हो ऐसी स्त्री बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की होती है । धर्म की सीमा में रहकर के आचरण करने वाली होती है परिवार की मान सम्मान और मर्यादा की रक्षा करने वाली होती है।
  2. यदि शुक्र केतु के साथ बैठा हो उसके साथ गुरु और चंद्र और सनी बैठे हो ऐसी स्त्री के साथ विवाह करना चाहिए ऐसी स्त्री साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप होती है जिस घर में निवास करती है वहां धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है , ऐसी स्त्री बड़ी धार्मिक सभ्य, सुशील और सज्जन होती है। उससे उत्पन्न संतान सभ्य और शिष्ट होती है, पर संतान की संख्या सीमित होती है। परंतु ऐसी स्त्री की सेहत मध्यम रहती है , उदर के रोग, पाचन के रोग रहते हैं। *3. शुक्र स्त्री का कारक होता है बुध बुद्धि का कारक होता है , शुक्र बुध का योग बुद्धिमानी का होता है। गुरु ज्ञान और विवेक का कारक होता है , जिस स्त्री की कुंडली में शुक्र +बुध+ गुरु का योग होता है, तो ऐसी स्त्री बहुत बुद्धिमान , विवेक वान होती है। यदि योग में केतु सम्मिलित हो जाए स्त्री विद्योत्तमा की तरह बुद्धिमान होती है , संपूर्ण शास्त्रों का ज्ञान रखने वाली होती है । ऐसी साक्षात वागीश्वरी से जिसका विवाह होता है वह बड़ा महा भाग्यवान होता है। ऐसी स्त्री जिस घर जाती है , वह घर ज्ञान की आभा से चमक उठता है।

4.शुक्र स्त्री का कारक होता है, धन का कारक होता है , सौंदर्य का कारक होता है, लय का कारक होता है। शनि कर्मों का कारक होता है , व्यवसाय का कारक होता है , बुध व्यापार का कारक होता है ,जब शुक्र का संबंध शनि से , बुध से होता है, तो ऐसी स्त्री साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा होती है , ऐसी स्त्री से विवाह करने वाला , नारायण के समान एक समाज के बड़े भूभाग पालन पोषण करने वाला होता है ऐसे व्यक्ति अरबपति करोड़पति होते हैं।

5 .शुक्र धन का कारक होता है, जब वह मीन राशि में बैठता है तो शुक्र बहुत प्रसन्न हो जाता है , शुक्र की ताकत कई गुना बढ़ जाती है। शुक्र द्वादश भाव और मीन राशि में पहुंच जाता है तो वह माता लक्ष्मी का स्वरूप बन कर प्रसन्न हो जाता है । मीन राशि भगवान विष्णु के चरण होते हैं ,माता भगवान के चरणों में बैठ जाती है और केतु शेषनाग की पूंछ होती है। शुक्र जब मीन राशि में केतु के साथ बैठता है तो माता प्रसन्न होकर विष्णु के चरण दबा रही होती है। अर्थात ऐसी स्त्री जिस घर में रहती है उस घर में सुख शांति वैभव बना रहता है , ऐसे घरों में कंफर्ट बहुत होता है, असुरक्षा की भावना नहीं होती है जिस प्रकार भगवान नारायण क्षीर सागर में परम सुख के साथ शयन करते हैं और शांति के साथ, प्रेम के साथ माता उनके चरण दबाती है उसी तरह शुक्र + केतु मीन राशि में, योग वाली स्त्री जिस घर में बहू बनकर जाती है अपनी सेवा के द्वारा घर को स्वर्ग बना देती है । उसके चरणों पड़ते ही माता लक्ष्मी की अद्भुत कृपा बरसने लगती है।।*

6.शुक्र स्त्री का कारक होता है, बुध बुद्धि का कारक होता है , चंद्रमा मन का कारक होता , केतु मुक्ति का कारक होता है। शुक्र +चंद्र+ केतु के योग वाली स्त्री धार्मिक होती है, पढ़ी-लिखी बुद्धिमान होती है , चतुर होती है, घर के कार्यों के साथ-साथ शिक्षण और आध्यात्मिक कार्यों में भी ध्यान देती है , सभ्य, शिष्ट, सरल सज्जन होती है।*

7.पुरुष की कुंडली में शुक्र स्त्री का नैसर्गिक कारक होता है , यदि शुक्र ,सूर्य ,गुरु और मंगल के साथ बैठ जाता है अपने नैसर्गिक राज योग में बैठ जाता है, ऐसी स्त्री महारानी होती है , राजरानी होती है , संसार पर शासन करने वाली होती है , बड़े-बड़े चुनाव में जीतने वाली होती है।

विशेष नोट :* सभी योग नैसर्गिक और काल पुरुष की कुंडली के आधार पर लिखे गए हैं। इन योगों पर विचार करते हुए तात्कालिक कुंडली के आधार पर बनने वाले योगों को भी देखें , तभी संपूर्ण रिजल्ट आपको मिलेगा। यह सभी योग नैसर्गिक कुंडली के आधार पर लिखे गए हैं।
आचार्य Dr N.D. Dixit, Nadi expert and Nadi Teacher 6307437516 9628333618 चमत्कारिक नाड़ी ज्योतिष पढ़ने के लिए संपर्क करें

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